ठंड और कुहासे के कारण 1 दिसंबर से रद्द हो सकती हैं पटना से उड़ानें
रद्द हो सकती हैं पटना से उड़ानें, इस साल अच्छी बारिश और नवंबर के पहले सप्ताह में गिर रहे तापमान को देखते हुए, यह संभावना व्यक्त किया जा रहा है कि दिसंबर के पहले सप्ताह से कुहासा गिरने लगेगा। इसके कारण रद्द हो सकती हैं पटना से उड़ने वाली विमानें।
अगर आप अगले माह यात्रा करना चाहते हैं तो एक बार विमानों का अनुसूची जरूर देख लें।
पिछले 24 घंटे में दक्षिणी-पश्चिमी बिहार में रात के तापमान में तीन से चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गयी। यहां प्रदेश में सबसे न्यूनतम तापमान 10.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।
पटना के न्यूनतम तापमान
पटना के न्यूनतम तापमान पिछले 24 घंटे में 2 डिग्री से अधिक नीचे गिरकर 14 डिग्री तक नीचे आ गया है। इसी तरह भागलपुर के रात के तापमान इसी अवधि के दौर डेढ़ डिग्री और पूर्णिया में तीन डिग्री सेल्सियस से भी अधिक गिरावट दर्ज की गयी।
फिलहाल प्रदेश की रातें अब ठंडी हो गयी हैं। दिन के तापमान में अभी कोई उल्लेखनीय गिरावट दर्ज नहीं हुई हैं। हालांकि अधिकतम तापमान सामान्य के करीब ही रहेगा।
रद्द हो सकती हैं पटना से उड़ानें और विमानों के टाइम में बदलाव
ठंड और कुहासे के कारण रद्द हो सकती हैं पटना से उड़ने वाली विमानें। यहीं नहीं विमानों के टाइम में भी बदलाव होने की उम्मीद है। अभी 44 जोड़ी विमान पटना से रोजना सुबह 5 बजे से लेकर रात 11.15 बजे तक ऑपरेट कर रहे हैं। एयरपोर्ट प्रशासन ने जो विमानों का अनुसूची जारी किया है, वह 30 नवंबर तक के लिए ही प्रभावी है। इस माह के आखिर में फिर से अनुसूची जारी होगा। जिसमें 30 से 32 जोड़ी तक विमान ही शामिल होंगे।
कुहासा गिरने का असर पटना एयरपोर्ट से ऑपरेट होने वाले विमानों के परिचालन पर पड़ेगा। इससे सुबह और रात में इन दिनों ऑपरेट कर रहे विमानों में 12 से 14 जोड़ी विमानों का ऑपरेट संबंधित एयरलाइंस कंपनियां 1 दिसंबर से रद्द हो सकती हैं पटना से उड़ानें।
पिछले माह एयरपोर्ट प्रशासन ने जो विमानों का अनुसूची जारी किया है, वह 30 नवंबर तक के लिए ही प्रभावी है। इसलिए इस माह के आखिर में एयरपोर्ट प्रशासन फिर से अनुसूची जारी करेगा। एयरलाइंस कंपनियां भी लगातार मौसम विज्ञान केंद्र के संपर्क कर यह जानकारी लेने में जुटी है कि कब से घना कुहासा होने लगेगा, ताकि वे अपने विमानों का परिचालन ठीक से करा सकें।
सूत्रो के अनुसार करीब 850 मीटर तक की विजिबिलिटी में विमानों का ऑपरेशन होता है।
इसे 450 से 425 मीटर तक लाने के लिए एप्रोच लाइट्स को नए सिरे से ठीक करने की योजना पिछले तीन सालों में नहीं हो सकी है।